आज हम देखेंगे OYO Founder रितेश अग्रवाल की पूरी कहानी, उनका जन्म कहा हुवा, उन्होंने OYO की शुरुवात कैसे की, और OYO Success Story in Hindi को विस्तार से जानेगे।
इसके बारे में हम पूरी जानकारी देखने वाले है, एक 27 साल का युवक जिसने इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी Success हासिल कर ली है, उन्होंने ये सब कैसे किया।
इसके बारे हम आज पूरी जानकारी देखने वाले है।
रितेश अग्रवाल
रितेश अग्रवाल का OYO, 26 साल के ये युवा, 1993 में इनका जनम हुवा ओडिशा के कट्टक गांव में, ये ओड़िआ लड़का 13 साल की उम्र में इसने दुनिया घूमना शुरू कर दिया,
बचपन में पढाई में इनका बिलकुल मन नहीं लगता था, फिर उन्होंने एक वर्ड सुना Entrepreneurship फिर उन्होंने कहा, में भी Entrepreneur बनूँगा meaning नहीं मालूम था,
लेकिन Class में बच्चे इम्प्रेस हो गए,और तब से ये इस शब्द के पीछे पद गए, इन्होने आगे चल के लन्दन के बड़ी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट कॉलेज अंदर पढाई की।
एडमिशन तो लिया लेकिन वहापढ़ने का मन नहीं था इनका, एथ्रोपिनौरशिप पर कहि भी सेमिनार हो रहा हो, कोई भी क्लास हो रही हो, उसको जा करके ये अटेंट करते थे।
Travel में इनका Interest था, Hotel में इनका Interest नहीं था, लेकिन Incidental इस बिज़नेस में घुस गए।
OYO का Idea रितेश अग्रवाल को कैसे आया?
रितेश अग्रवाल देखते थे की जो सस्ते Hotels है, उनके वाश रूम गंदे, गद्दे चादर और भी गंदे, और कस्टमर चेकिंग एक्सपेरिएंस चेकिंग चेकआउट और भी गन्दा, फिर इन्होने सोचा की क्यों न इस बड़ी प्रॉब्लम को सॉल्व करते है।
उन्होंने मिशन बनाया क्रिएट ग्रेट लिविंग स्पेसेस फॉर कॉमन मैन, ग्रेट लिविंग स्पेस और कॉमन मैन, दोनों अलग अलग चीजे है, दोनों एक साथ नहीं आ सकती।
वह साथ में लाना बड़ा मुश्किल था, 2012 में ओरावेल स्टेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कम्पनी की स्थापना की, गुड़गांव के हुड्डा सिटी सेंटर चले गए वह काफी छोटे थे, वह जाकर वह एक Hotel वाले को बोले, देखो भैय्या आपका होते चलता तो नहीं है।
इसमें लोग भी नहीं आते कमरे खली पड़े रहते है, फिर उन्होंने उस Hotel के मालिक से कहा की में आपके कमरे किराये पर चढ़वाता हु, उसमेसे कुछ कमीशन मुझे दे देना।
फिर उस Hotel के मालिक ने बोलै जा बेटा जा बोहत साल हो गए मुझे इस Business में, कोई उनपर विश्वास नहीं करता था क्योकि व बहुत छोटे थे, फिर उन्होंने Hotel के मालिक से कहा, देखिये अगर loss हुवा तो मेरा और फायदा हुवा तो आधा आधा होगा।
Hotel का मालिक मान गया, 35000 रुपये लेकर दिल्ली के सदर बाजार में गए, वह 35000 खर्च करके वह से छोटी छोटी ऐसी चीजे लाये जिससे अंदर से,
Hotel के Experience Bathroom, बेड , चादर , साफसफाई, उस रूम्स को अच्छा किया, वह से मेहनत चालू की, लेकिन उन्हें बोहत मेहेंगा पड रहा था।
फिर उन्होंने सोचा की मॉडल को डेवलप करना है तो टेक्नोलॉजी चाहिए, और वहा से उसके बाद उन्होंने OYO की स्थापना की।
OYO को Success कैसे मिला
दोस्तों रितेश अग्रवाल ने जैसे ही Hotel के रूम्स को, अपने तरीके से डेवलप करना शुरू किया वैसे कस्टमर बढ़ने लगे, लोगो को ये बोहत पसंद आता था।
और देखते ही देखते हायर रेवेन्यू , रिपीट कस्टमर , एफिशिएंट ऑपरेशन , हाय क्लास CRM, ये चारो चीजे दिखने लगी, फिर उस प्रॉपर्टी का मालिक बोला, अरे काम तो बोहत अच्छा चल रहा है। चलो एक काम करते है मेरा एक Hotel और है।
वहा पर भी लग जाओ काम पर, और वही हरियाणे में गुड़गांव के प्रॉपर्टी ओनर उनको बोले, मेरी प्रॉपर्टी भी डेवलप कर देगा क्या, और इनका धंदा वही से चलने लगा, एक से प्रॉफिट लेते हे फिर अगली प्रॉपर्टी में घुसते थे।
ऐसे करते करते इन्होने बोहत सारे Hotels के साथ काम किया, और आज इनका 50 % Business चायना इ है।
OYO की Success Strategies
इसका मतलब इन्होने ध्यान से देखा, Unbranded Hotel बोहत सारे है। उन सारे अनब्रांडेड Hotels को ब्रांडेड इको सिस्टम में ला दे, तो मजा आ जायेगा, बोहत बड़ा कस्टमर बेस था जो 1000 से 2000 रुपये के प्राइज पर काम करना चाहता था।
लो उप मेन्ट सेगमेंट का जो कस्टमर था उसको Great Quality Experience चाहिए था, वो चाहता था की प्राइज कम हो, बेस्ट लोकेशन हो, और लो प्राइज हो।
तो रितेश अग्रवाल लोकेशन पे काफी फोकस करते थे, सोचते थे की किसी मॉल के पास हो Hotel, रेलवे स्टेशन के पास हो, एयरपोर्ट के पास हो, ताकि होते तुरंत पिकअप कर जाये, इसके बाद इन्होने धीरे धीरे समझना शुरू किया, के दुनिया जितने बड़े Hotel चेंज है।
ये सबका फोकस है उन Hotel पर है जहा पर 100 से ज्यादा कमरे हो, और 90% ज्यादा Hotel ऐसे है जहा 100 से कम कमरे है। 10 % Hotel ऐसे है जिनके पास 100 से ज्यादा कमरे है। उन 90 % Hotel पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
वो मार्किट जिसपे कोई ध्यान नहीं दे रहा उसपर इन्होने ध्यान दिया, उन Hotels पे जो अकेले पड़े हुवे थे, जिनका कोई नहीं है उनका OYO है। इन्होने सोचा की प्रोपर्टिया बानी हुवी है पहले, एक ४ स्टार Hotel बनाने में ६0 करोड़ लगते है।
एक 5 स्टार Hotel बनाने में 125-150 करोड़ लग जाते है। और उसके बाद profit निकलना मुश्किल हो जाता है। इन्होने सोचा में Hotel बनाऊंगा नहीं।
बने हुवे Hotel के साथ Partnership करूँगा, और खास तोर पर उनपर कम करूंगा जिनके पास 100 से कम कमरे हो, ऐसे Hotel जिनपर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
इसे Aggregator Business Model कहते है। जहा पर में अपने ब्रांड का नाम आपको दे दू, और आपका Hotel तुरंत चल पड़े, इसके मदत से आपके Hotels अच्छे चलेंगे।